ख़बरिस्तान नेटवर्क : आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण क्षण में, श्री कांची कामकोटि पीठाधिपति जगद्गुरु पूज्य श्री शंकर विजयेन्द्र सरस्वती स्वामीगल ने बेंगलुरु के कनकपुरा रोड स्थित ‘द आर्ट ऑफ लिविंग इंटरनेशनल सेंटर’ का दौरा किया।
अपने प्रवास के दौरान, शंकराचार्य ने गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर के लिए आशीर्वचन कहे और विश्वभर में शांति, ध्यान तथा आध्यात्मिक ज्ञान के प्रसार हेतु उनके अथक प्रयासों की गहरी सराहना की। उन्होंने गुरुदेव की मानवीय पहलों, भारत की प्राचीन ज्ञान परंपराओं के संरक्षण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और सभी वर्गों के लोगों के लिए आध्यात्मिक अभ्यासों को सरल व प्रासंगिक बनाने की क्षमता की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
शंकराचार्य ने आश्रम में स्थित गुरुकुल, गौशाला और अन्य आध्यात्मिक शिक्षण स्थलों का अवलोकन किया। उन्होंने विश्वभर से आए साधकों को संबोधित किया और मार्गदर्शन व उत्साहवर्धन के शब्द साझा किए। गुरुदेव के साथ अपने संबंधों पर प्रकाश डालते हुए शंकराचार्य ने कहा - कई वर्षों से गुरुदेव हमारे कांची परंपरा से जुड़े हुए हैं। यहाँ आना हमारे लिए स्वाभाविक है, यह प्रेम और सहजता का विषय है।
उन्होंने गुरुदेव के प्रभाव की सराहना करते हुए आगे कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक, आर्ट ऑफ लिविंग के सेवा प्रयासों ने अशांति के मूल कारणों को दूर करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जो कभी शस्त्र उठाते थे, वे अब भक्ति और प्रेम के माध्यम से शांति की ओर अग्रसर हुए हैं - बंदूक से बंधु। आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा वैदिक ज्ञान, सात्विक आचरण और सनातन धर्म के मूल्यों के प्रति समर्पण, मानवता की सच्ची सेवा है। गुरुदेव दीर्घायु हों और यह दिव्य कार्य निरंतर करते रहें।
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर ने पारंपरिक सम्मान के साथ शंकराचार्य का आत्मीय स्वागत किया और इस भेंट को “सभी आध्यात्मिक साधकों के लिए एक आशीर्वाद” तथा साझा मूल्यों और दृष्टिकोण की पुष्टि बताया। यह भव्य भेंट वेद मंत्रों के साथ, आशीर्वादों के आदान-प्रदान और भारत की सनातन आध्यात्मिक धरोहर के संरक्षण की पुनः प्रतिज्ञा के साथ संपन्न हुई।