50 हजार लोगों को रुपये बांटता है लाला
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आसनसोल (वेस्ट बंगाल)@wk
ये किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं और हो सकता है कि जल्द इस पर फिल्म बन भी जाए। कभी साइकिल पर मछली बेचने वाला आज हजारों करोड़ के साम्राज्य का मालिक है। नाम है अनूप मांझी उर्फ लाला। कोल माफिया ने ये सबकुछ कोयले के अवैध कारोबार से खड़ा किया है। सीबीआइ जांच में खुलासा हुआ है कि वह हर महीने 50 हजार से ज्यादा लोगों को रुपये बांटता है।

पुरुलिया के भामुरिया गांव का रहने वाला लाला 80 के दशक में साइकिल पर मछली बेचता थ। 1993-94 में वह पुरुलिया में कोयले का धंधा करने वाले अक्षय गुरुपद के साथ जुड़ा। बहुत जल्द उसने कोयले की दलाली सीख ली। अब उसने कोयले का बेताज बादशाह बनने का फैसला किया और सबसे पहले गुरुपद को ही किनारे किया और पूरे धंधा अपने हाथ में ले लिया।
फिर उसने अपना कारोबार अन्य इलाकों में भी फैला लिया। तब आसनसोल कोयले का गढ़ था। साल 2005 के आसपास आसनसोल के अवैध कोयला कारोबार में दुर्गापुर के राजू झा का राज था। राजू के पैड पर पूरे बंगाल से बनारस की मंडी तक कोयला जाता था। वह आसनसोल दुर्गापुर से धंधा चलाता था। 2011 में राजू झा पकड़ा गया और धंधा बंद हो गया। 2011 में ही सत्ता परिवर्तन के बाद लाला ने राजनीतिक गलियारों में रसूख कायम किया और राजू झा का काम उसने संभाल लिया। देखते ही देखते उसका साम्राज्य हजारों करोड़ का हो गया।
सत्ता बदलने के बाद बन गया लाला
बंगाल में सत्ता परिवर्तन ने लाला को ऐसा लाल किया कि वह हजारों करोड़ में खेलने लगा। सीबीआइ, आयकर और केंद्रीय जांच एजेंसियों की दबिश के बाद लाला से जुड़े अनेक खुलासे हो रहे हैं। लाला का साथ अजय मंडल, राजन, जयदेव, बिल्लू, एन नंदा, संजय, जगदीश ने साथ दिया। जानकारों का कहना है कि हजारों करोड़ का साम्राज्य खड़ा करने में लाला ने पैसा भी खूब बांटे। ऐसे हजारों लोग हैं जो लाला से हर महीने पैसे लेते थे, ताकि लाला का धंधा चलता रहे।
ऐसे लोगों की गिनती 50 हजार से ज्यादा है। सीबीआइ को भी लाला के दफ्तर और घर से जब्त दस्तावेजों में इन लोगों की लिस्ट मिली है। अवैध धंधे से काला धन कमाकर लाला ने पुरुलिया, बांकुड़ा एवं दुर्गापुर में 22 फैक्टरियां खोल रखी हैं। स्पंज आयरन, हार्डकोक, फेरो एलाय की कंपनियों से लाला ने काले धन को सफेद करने की कोशिश की।
बनारस मंडी तक था राज
बंगाल के रानीगंज, पांडेश्वर, बांकुड़ा से अवैध उत्खनन व चोरी का कोयला बनारस और डेहरी की मंडी में फर्जी कागजों से जाता था। बंगाल से रोज ऐसे ट्रकों की खेप बनारस मंडी और डेहरी मंडी पहुंचती थी। इन ट्रकों को कोई नहीं रोकता था। बंगाल से बनारस मंडी तक 100 करोड़ से अधिक का महीना लाला देता था। asansol coal mafila anup majhi