ख़बरिस्तान, शिमला
पंजाब की गुरुनगरी अमृतसर में स्थित जलियांवाला बाग के टूरिस्ट्स की मौज-मस्ती का स्थान बनने पर अभिनेत्रि दीप्ति नवल ने पीड़ा जाहिर की है। फिल्म अभिनेत्री, निर्देशिका, लेखिका व चित्रकार की बहुआयामी प्रतिभा वाली दीप्ति नवल ने शिमला में चल रहे अंर्तराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ के दौरान कहा कि जलियांवाला बाग दर्द की जिंदा तस्वीर है। जिस मिट्टी में हजारों बेकसूर लोगों का खून बहा हो, वह मातम मनाने की जगह है। उसे सेल्फी प्वाइंट बनाना पीड़ादायक है। उन्होने कहा कि अमृतसर में स्वर्ण मंदिर है, जिसे बेहद खूबसूरत बना दिया गया है।
उन्होंने कहा कि जलियांवाला बाग हजारों लोगों की कुर्बानी की जगह है पर इसके स्वरूप ही बदल दिया है। इस स्थान को वास्तविक स्वरूप में सहेज कर रखा जाना चाहिए था, ताकि देश विदेश से इसे देखने के लिए जो भी पहुंचे, उसे घटना का अहसास हो कि कैसे ब्रिटिश शासन में हजारों निर्दोष लोगों की जान यहां गई थी। उनका लहू भी गुलाबी रंग में दर्शाना गहरी पीड़ा देता है। उन्होंने हिरोशिमा शहर का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पर विश्व युद्ध के दौरान बम गिरने से जो नुकसान हुआ था उसे वास्तविक स्वरूप में दर्शाया है। जो भवन गिरे थे उन्हें वैसा ही सहेज कर रखा गया है। उन्हें देखकर ही लगता है कि युद्ध कितना विनाशकारी होता है।
मैं आधी हिमाचली,आधी पंजाबी
दीप्ति नवल ने कहा कि मैं आधी हिमाचली और आधी पंजाबी हूं। मेरा कनेक्शन हिमाचल से है. मेरे नाना पहाड़ी आदमी थे। वह डोगरी थे और मूलत: कांगड़ा के रहने वाले थे, जबकि मेरे पिता पंजाब के थे। इसलिए मेरा कनेक्शन हिमाचल और पंजाब दोनों ही स्थानों से है।