महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 में हुए ब्लास्ट केस में NIA कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा समेत सातों आरोपियों को बरी कर दिया है। इस मामले में साध्वी प्रज्ञा के अलावा लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित 7 आरोपियों पर UAPA के तहत मुकदमा चलाया गया था। इनमें पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकर धर द्विवेदी शामिल थे। जांच एजेंसी ATS ने आरोप लगाया था कि साध्वी प्रज्ञा ने वाहन मुहैया कराया था, जिसका इस्तेमाल धमाके में किया गया था। ATS का यह भी दावा था कि वाहन साध्वी के नाम पर रजिस्टर्ड था। जज ने कहा साबित नहीं हुआ कि बम मोटरसाइकिल में रखा था।
6 लोग मारे गए और करीब 100 लोग घायल हुए
बता दे कि मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को धमाका हुआ था, जिसमे करीब 6 लोग मारे गए थे और करीब 100 लोग घायल हुए थे। करीब 17 साल बाद आए फैसले में जज एके लाहोटी ने कहा कि जांच एजेंसी आरोप साबित नहीं कर पाई है, ऐसे में आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए।
बम मोटरसाइकिल में रखा साबित नहीं हुआ
जज लाहोटी ने कहा कि धमाका हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं हुआ कि बम मोटरसाइकिल में रखा था। यह भी साबित नहीं हुआ कि मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा के नाम थी। यह भी साबित नहीं हो सका कि कर्नल प्रसाद पुरोहित ने बम बनाया।
इस केस का फैसला 8 मई 2025 को आने वाला था, लेकिन फिर कोर्ट ने इसे 31 जुलाई तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। मालेगांव ब्लास्ट केस की शुरुआती जांच महाराष्ट्र ATS ने की थी। 2011 में केस NIA को सौंप दिया गया था। NIA ने 2016 में चार्जशीट दाखिल की थी। केस में 3 जांच एजेंसियां और 4 जज बदल चुके हैं।