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प्रेग्नेंट महिलाओं में बढ़ा Lotus चाइल्ड बर्थ क्रेज, जानें ये क्या है और इसके फायदे


प्रेग्नेंट महिलाओं में बढ़ा Lotus चाइल्ड बर्थ क्रेज,
11/17/2023 11:42:39 AM         Raj        pregnancy, normal delivery, c section, What Is Lotus Birth, Benefits Of Lotus Birth, lotus birth in pregnancy             

हर महिला के जीवन में प्रेग्नेंसी एक बेहद खास पल होता है। बता दें कि पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को इस दौरान कुछ समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। प्रेग्नेंसी के अंतिम दौर में महिलाएं व डॉक्टर मौजूदा स्थिति और सहूलियत के आधार पर डिलीवरी के तरीके को चुन सकते हैं। शिशु को जन्‍म देने के कई तरीके हैं जिनमें से एक है लोटस बर्थ। दरअसल लोटस बर्थ में जन्‍म के बाद शिशु की अम्बिलिकल कॉर्ड को अलग नहीं किया जाता है। अम्बिलिकल कॉर्ड को प्‍लेसेंटा से ही जुड़ा हुआ छोड़ दिया जाता है, जब तक कि वो खुद सूखकर गिर ना जाए। इसमें 3 से 10 दिन लग सकते हैं। हालांकि इसे लेकर कोई रिसर्च मौजूद नहीं है।


अमेरिकन कॉलेज ऑफ नर्स-मिडवाइव्‍स के अनुसार पिछले 50 सालों से कॉर्ड क्‍लैंपिंग को लेकर विवाद चल रहा है। ऐसा माना जाता है कि शिशु के पैदा होने के बाद एक मिनट के अंदर अम्बिलिकल कॉर्ड को काट देना चाहिए। यह मां और शिशु दोनों के लिए फायदेमंद होता है।


लोटस बर्थ के क्या है फायदे -  


नवजात शिशु के लिए कर सकता है तनाव कम 


लोटस बर्थ को बेहतर बताने वालों के अनुसार गर्भनाल का धीरे-धीरे अलग होना नवजात शिशु के तनाव को कम कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि यह प्रक्रिया बच्चे की नेचुरल रिदम के साथ अधिक मेल खाती है। 


मिलते हैं पोषक तत्व 


लोटस बर्थ में जन्म के बाद भी बच्चे को निरंतर पोषक तत्व प्रदान किए जा सकते हैं। बच्चे को जन्म के बाद संक्रमण की संभावना हो सकती है। ऐसे में पोषक तत्व बच्चे के लिए आवश्यक होते हैं।  


जन्म के बाद के जोखिम होता है कम


अगर आपकी किसी एमेरजेंसी की स्थिति में डिलीवरी हो रही है और आप अस्‍पताल नहीं जा सकती हैं, तो इस स्थिति में प्‍लेसेंटा को शिशु से अलग नहीं किया जाता है और इससे कुछ कॉम्प्लिकेशंस को होने से रोका जा सकता है। इस स्थिति में जितना जल्‍दी हो सके शिशु और मां को डॉक्‍टर के पास ले जाना चाहिए वरना शिशु को संक्रमण हो सकता है।


संक्रमण का खतरा कम


प्लेसेंटा की नेचुरल ड्राई होने की प्रक्रिया बैक्टीरिया के जोखिम को कम कर सकती है। इससे नवजात शिशु के लिए संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।


क्या कहते हैं एक्सपर्ट?


एक्सपर्ट की मानें तो डिलीवरी के लिए यह प्रक्रिया बिल्कुल सुरक्षित नहीं है क्योंकि इससे शिशु में इंफैक्शन का खतरा रहता है। दरअसल, जन्म के बाद Umbilical Cord एक मृत अंग बन जाता है जो सड़ने लगता है। यह न केवल बदबूदार हो सकता है बल्कि संक्रमण का खतरा भी बढ़ा सकता है। हालांकि कुछ डॉक्टर्स के मुताबिक, इससे मां व बच्चे के बीच का रिश्ता अच्छा होता है। 


ऐसा कहा जाता है कि गर्भ में बच्चे को कुछ दिनों तक रखने से जन्म के बाद उसका रक्त संचार बढ़ जाता है। वहीं, यह नाल से छुटकारा पाने का एक प्राकृतिक तरीका है, जिससे नाल में मौजूद सभी लाल रक्त कण, आयरन, पोषक तत्व और हीमोग्लोबिन के स्तर में वृद्धि होती है। इसके अलावा शिशु के शरीर को गर्भनाल के अंदर मौजूद स्टेम कोशिकाओं को अवशोषित करने में मदद मिल सकती है।


लोटस बर्थ के जोखिम - 


- डॉक्टरों के मुताबिक प्लेसेंटा को बच्चे से जोड़े रखने से बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकता है। 


- जन्म के बाद प्लेसेंटा से बच्चे को जोड़कर रखना और उसे संभालने में समस्या हो सकती है। साथ ही, इसकी स्वच्छता भी एक बड़ा मुद्दा है। 


- लोटस बर्थ के बाद महिला और बच्चे को ज्यादा समय तक अस्पताल में रहने की जरूरत होती है। 


- प्लसेंटा से बच्चे के संक्रमण हो सकता है। 


लोटस बर्थ के फायदों पर किसी भी तरह की वैज्ञानिक पुष्टि नहीं मिलती है। लेकिन, इस पारंपरिक तरीके को आज भी कई देशों में अपनाया जा रहा है। समय के साथ मेडिकल साइंस ने कई पड़ावों में विकास किया है। डिलीवरी के दौरान पारंपरिक मान्यताओं की अपेक्षा अभिभावकों को डॉक्टर की सलाह पर विचार करना चाहिए।

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