ख़बरिस्तान नेटवर्क : छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री व पंजाब के कांग्रेस इंचार्ज भूपेश बाघेल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखी है। जिसमें उन्होंने बिजनेसमैन अडाणी पर जमकर निशाना साधा है और लंबी चिट्ठी भी लिखी है। इस पोस्ट में भूपेश बाघेल ने लिखा कि अब तुम्हारे हवाले ये लड़ाई साथियों! लिखा हुआ पढ़ने से पहले इस तस्वीर को देखिए। 12 जनवरी 2025 को मुख्यमंत्री निवास, रायपुर में यह वो तस्वीर है जिसके लिए अडानी को 5 वर्ष प्रतीक्षा करनी पड़ी।
प्रिय साथियों! सोशल मीडिया के माध्यम से आप सबके संदेश मुझे लगातार मिल रहे हैं। मैं ह्रदय से आप सबका आभार व्यक्त करता हूँ कि आप जहां भी हैं वहाँ से मुझे अपना संबल प्रदान कर रहे हैं। लेकिन सबको यह समझना होगा कि यह लड़ाई व्यक्तिगत नहीं है। यह लड़ाई हमारी साझी है. यह लड़ाई छत्तीसगढ़ बचाने की है।
भूपेश बघेल और कांग्रेसजन यह लड़ाई आज से नहीं बल्कि कई सालों से लड़ रहे हैं। जब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के कार्यकाल में हो रहे घोटालों, छत्तीसगढ़ को अडानीगढ़ बनाने के उनके प्रयासों, उनके द्वारा गोद लिए गए "सुपर सीएम" के संरक्षण में हो रहे घपलों और पनामा पेपर्स में दर्ज हो रहे "अभिषाक सिंह" सहित दामाद पुनीत गुप्ता के कारनामों को सभी कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने घर-घर तक पहुँचाना शुरू किया, तो यह लोग षड्यंत्र पर उतर आए।
ये आप लोगों से तब भी डरते थे. इनको पता था कि भूपेश बघेल और नेताप्रतिपक्ष टी. एस सिंहदेव सहित सभी कांग्रेस नेताओं के पीछे आप सब लोग खड़े हैं। इसलिए जब ये आपसे नहीं लड़ पाए तो इन्होंने एक झूठे मामले में मेरे परिवार को तब भी निशाना बनाया। मैं अपनी दिवंगत मां को लेकर सपरिवार मई 2017 में EOW ऑफिस पहुंचा था। इस दौरान मेरी स्वर्गीय मां की तबियत भी बिगड़ी थी और उन्हें रायपुर के रामकृष्ण अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था।
इन्हें तब भी लगा था कि भूपेश बघेल की मां को बुला लिया है अब तो यह डर जाएगा, परिवार पर संकट यह झेल नहीं पाएगा। लेकिन हम सबने अपनी लड़ाई उसी धार से बरकरार रखी। उसके बाद इन्होंने एक प्रयास फिर विधानसभा चुनाव 2018 से पहले मुझे स्वयं को जेल भेजकर भी किया। फिर भी इनके हाथ हताशा ही लगी।
घोटालों और कांडों का वह "दमन काल" जनता भूली नहीं थी और आज भी नहीं भूली है। जनता ने 2018 के विधानसभा चुनाव में इन्हें बुरी तरह भूल चटा दी। पंद्रह वर्ष की हुकूमत महज़ पंद्रह सीट पर सिमट गई और प्रदेश से भाजपा की सरकार चली गई।
लेकिन सिर्फ़ इतना नहीं हुआ था। भाजपा की सत्ता जाने के साथ अडानी का सपना भी टूटा था। 2018 के बाद जब कांग्रेस की सरकार बनी तो बैलाडीला में हमने अडानी समूह को दी गई खनन परियोजना को रद्द किया था. क्योंकि इसके लिए जो ग्राम सभा की सहमति ली गई थी वह फर्जी थी।
जब हमने अपनी सरकार के दौरान आदिवासियों के अधिकारों और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी। लोहंडीगुड़ा में टाटा द्वारा अधिग्रहित जमीन राहुल गांधी ने आकर आदिवासियों को वापस दी तो उनको समझ आ गया था कि यह कांग्रेस पार्टी की सरकार है, इसमें उनका स्वार्थ सिद्ध नहीं हो पाएगा और न ही छत्तीसगढ़ के संसाधनों को लूटने की उनकी मंशा पूरी हो पाएगी।
उसके बाद जो जो हुआ, वो आप सबने देखा है। हमारी सरकार को बदनाम करने के लिए एक के बाद एक षड्यंत्र जारी रहे। तबसे लेकर आजतक संघर्ष जारी है। राज्य में एजेंसियों को बसा दिया गया। हर दिन कहीं न कहीं कोई न कोई छापे। हर रोज़ नया षड्यंत्र, हर रोज़ नया आरोप। सरकार की और पार्टी की छवि धूमिल करने की लगातार कोशिश जारी रही।
यह सिर्फ़ छत्तीसगढ़ में नहीं हो रहा था। यह पूरे देश में लगातार जारी है. हमारे नेता राहुल गांधी ने संसद के अंदर जब अडानी का नाम लिया तो ED ने समन भेज दिया। उनसे पूछताछ की गई और अभी भी गांधी परिवार को लगातार टारगेट किया जा रहा है। 2023 में इनके द्वारा तैयार किया गया झूठ कुछ समय के लिए चल गया और प्रदेश से कांग्रेस सरकार चली गई।
हमारी सरकार जाते ही नई सरकार का शपथ ग्रहण भी नहीं हो पाया था और हसदेव में हज़ारों कटर लगाकर लाखों पेड़ काट दिए गए। जिन पेड़ों को हमने लंबे समय से कटने नहीं दिया था, आख़िर किस अदृश्य शक्ति के आदेश पर हसदेव उजाड़ा गया? तब समझ आया कि विष्णुदेव का शपथ ग्रहण भले ही न हुआ हो लेकिन अडानी छत्तीसगढ़ का मालिक होने की शपथ ले चुका है।
उसके बाद शुरू हुआ छत्तीसगढ़ को "अडानीगढ़" बनाने का खेल। बस्तर को खाली कराया जा रहा है ताकि अडानी के लिए दरी बिछाई जा सके। हसदेव उजाड़ा जा चुका है। उसके बाद रायगढ़ के तमनार में विष्णु देव के शासन-प्रशासन के संरक्षण में गांव वालों को बंधक बनाकर, कांग्रेस विधायक को गिरफ़्तार करके अडानी के लोगों ने 5000 पेड़ काट दिए।