जयपुर की पूर्णिमा यूनिवर्सिटी में आयोजित न्यायिक सेवा परीक्षा में पंजाब की एक सिख छात्रा गुरप्रीत कौर को उसके धार्मिक प्रतीकों (ककार) के कारण परीक्षा केंद्र में जाने से रोक दिया गया। वही इस घटना पर अब शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने भी आपत्ति जताई है और इसे धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है। बता दे कि गुरप्रीत पंजाब के तरनतारन जिले के खडूर साहिब की रहने वाली हैं। उन्होंने परीक्षा केंद्र के बाहर एक वीडियो बनाकर बताया कि जब वह परीक्षा देने पहुंचीं तो सुरक्षा जांच के दौरान उन्हें कहा गया कि वे अपने धार्मिक प्रतीक जैसे कड़ा, कृपाण और अन्य ककार हटा दें। जब उन्होंने ऐसा करने से मना किया, तो उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया।
गुरप्रीत का कहना है कि परीक्षा से जुड़ी किसी गाइडलाइन में यह स्पष्ट नहीं था कि ककारों को हटाना अनिवार्य है या उनके आकार को लेकर कोई सीमा तय की गई है। इसके बावजूद उन्हें परीक्षा में बैठने नहीं दिया गया। जिसके बाद अब शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने भी आपत्ति जताई है। SGPC के सदस्य गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने इस घटना की पुष्टि करते हुए इसे सिख धर्म के खिलाफ एक सीधा अपमान बताया।
उन्होंने प्रशासन से पूछा कि अगर अदालत में एक सिख वकील या जज अपने धार्मिक प्रतीकों के साथ बैठ सकते हैं, तो फिर एक सिख स्टूडेंट को परीक्षा देने से क्यों रोका गया। साथ ही ग्रेवाल ने राज्य और केंद्र सरकार से इस घटना पर कड़ा संज्ञान लेने की मांग की है और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की बात कही है।