खबरिस्तान नेटवर्क: देश में कोविड वायरस के एक्टिव केसों की संख्या 7121 पहुंच चुकी है। बीते 24 घंटों में 300 से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं। वहीं केरल में इस समय सबसे ज्यादा 2223 केस हैं। इसके बाद गुजरात में 1223, दिल्ली में 757 और पश्चिम बंगाल में 747 पॉजिटिव मरीज मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग की मानें तो कोरोना के नए वैरिएंट से 74 मौतें हुई है। मंगलवार को 6 लोगों ने जान भी गवाई है। इसमें केरल में 3, कर्नाटक में 2 और महाराष्ट्र में एक मौत हुई है। बीते 10 दिन में 3000 नए मामले सामने आए हैं। वहीं 40 मरीजों की मौत हो गई है। हर दिन 350 से नए केस दर्ज हो रहे हैं।
केरल में सर्दी-खांसी होने पर जरुरी हुआ कोविड टेस्ट
केरल के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि कोरोना का नया वैरिएंट बुजुर्गों और दूसरी बीमारियों वाले मरीजों के लिए ज्यादा खतरनाक है। राज्य के सभी अस्पतालों को सर्दी, खांसी और सांस लेने में तकलीफ वाले मरीजों को कोविड टेस्ट करवाने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को राज्य के सभी प्रमुख विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की है। ममता ने राज्य के सरकारी अस्पतालों में इलाज की पूरी व्यवस्था है ऐसे में लोगों को घबराने की जरुरत नहीं है। गुजरात राज्य सरकार ने कहा कि हम कोविड से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। अस्पतालों में बेड, वेंटिलेटर और आईसीयू बेड की व्यवस्थाएं कर ली है। हम अलर्ट पर हैं किसी भी स्थिति को नियंत्रित कर सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्री रुशिकेश पटेल ने बताया कि मौजूदा वैरिएंट ओमिक्रॉन वायरल कोविड परिवार का ही है लेकिन यह गंभीर नहीं है। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों को कोविड-19 और इन्फ्लूएंजा के लक्षणों वाले मरीजों का इलाज करते समय जून 2023 में जारी की गई कोविड गाइडलाइन पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। अस्पतालों में सभी को मास्क लगाना अनिवार्य है। साथ ही जुकाम, खांसी और बुखार जैसे लक्षण वाले मरीजों का कोविड टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है। गुलबर्गा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ने में 25 बेड का कोविड वार्ड बनाया गया है। इनमें से पांच-पांच बेड ICU (वेंटिलेटर समेत), हाई डिपेंडेंसी यूनिट और पांच प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए हैं। बाकी 10 नॉर्मल बेड हैं।
उत्तराखंड सरकार ने जारी की गाइडलाइन
राज्य सरकार ने बुधवार को गाइडलाइन जारी करके जिला प्रशासन से अस्पतालों में ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कहा है। इसके अलावा इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों सांस की जुड़े गंभीर इंफेक्शन और कोविड मामलों की रिपोर्टिंग करने के भी निर्देश दिए हैं।
हिमाचल में अनिवार्य हुए मास्क
हिमाचल में कोविड का पहला मामला सामने आने बाद 4 जून को अस्पताल में सभी को मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया। सिरमौर जिले के नाहन में 3 जून को पहला केस मिला था।
केरल-महाराष्ट्र में हुई है सबसे ज्यादा मौतें
भारत में मिले कोविड-19 के 4 नए वैरिएंट भारत के कई राज्यों में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी के बीच देश में चार नए वैरिएंट मिले हैं। ICMR के डायरेक्टर डॉ. राजीव बहल ने बताया कि दक्षिण और पश्चिम भारत से जिन वैरिएंट की सीक्वेंसिंग की गई है, वे LF.7, XFG , JN.1 और NB.1.8.1 सीरीज के हैं। बाकी जगहों से नमूने लेकर सीक्वेंसिंग की जा रही है, ताकि नए वैरिएंट की जांच की जा सके। मामले बहुत गंभीर नहीं हैं, लोगों को चिंता नहीं, बस सतर्क रहना चाहिए। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने भी इन्हें चिंताजनक नहीं माना है हालांकि, निगरानी में रखे गए वैरिएंट के रूप में कैटेगराइज किया है। चीन सहित एशिया के दूसरे देशों में कोविड के बढ़ते मामलों में यही वैरिएंट दिख रहा है। NB.1.8.1 के A435S, V445H, और T478I जैसे स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन अन्य वैरिएंट की तुलना में तेजी से फैलते हैं। इन पर कोविड के खिलाफ बनी इम्यूनिटी का भी असर नहीं होता। भारत में कोविड का JN.1 वैरिएंट सबसे आम है। टेस्टिंग में आधे से ज्यादा सैंपल में यह वैरिएंट मिलता है। इसके बाद BA.2 (26 प्रतिशत) और ओमिक्रॉन सबलाइनेज (20 प्रतिशत) वैरिएंट के मामले भी मिलते हैं।
आखिर क्या है JN.1 वैरिएंट?
JN.1 वैरिएंट इम्यूनिटी को कमजोर करता है। JN.1, ओमिक्रॉन के BA2.86 का एक स्ट्रेन है। इसे अगस्त 2023 में पहली बार देखा गया था। दिसंबर 2023 में WHO ने इसे 'वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' घोषित किया। इसमें करीब 30 म्यूटेशन्स हैं, जो इम्यूनिटी कमजोर करते हैं। अमेरिका के जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार JN.1 अन्य वैरिएंट की तुलना में ज्यादा आसानी से फैलता है, लेकिन यह बहुत गंभीर नहीं है। दुनिया के कई हिस्सों में यह सबसे आम वैरिएंट बना हुआ है। JN.1 वैरिएंट के लक्षण कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक रह सकते हैं। यदि आपके लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, तो हो सकता है कि आपको लंबे समय तक रहने वाला कोविड हो। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें COVID-19 के कुछ लक्षण ठीक होने के बाद भी बने रहते हैं।