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ख़बरिस्तान नेटवर्क : तेज़ रफ्तार और प्रतिस्पर्धा से भरी आधुनिक जीवनशैली में तनाव, अशांति और अनिश्चितता आम हो गई है। मानसिक थकान और भावनात्मक दबाव अब व्यक्तिगत समस्या न रहकर वैश्विक चुनौती का रूप ले चुके हैं। ऐसे समय में ध्यान केवल आध्यात्मिक साधना नहीं, बल्कि मानसिक संतुलन और आंतरिक शांति के लिए एक आवश्यक मानवीय उपाय के रूप में उभर कर सामने आया है।

ध्यान की इसी सार्वभौमिक उपयोगिता को स्वीकार करते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस घोषित किया है। इसका उद्देश्य लोगों को आंतरिक शांति, भावनात्मक संतुलन, करुणा और सामाजिक सामंजस्य की दिशा में प्रेरित करना है। यह दिवस ध्यान को एक ऐसी कालातीत और समावेशी साधना के रूप में रेखांकित करता है, जो धर्म, संस्कृति और राष्ट्रीय सीमाओं से परे जाकर मानवता को जोड़ती है।

ध्यान के विज्ञान और उसकी गहराई को विश्व के समक्ष स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने वाले महान आध्यात्मिक गुरुओं में परमहंस योगानंद का नाम अग्रणी है। उन्होंने यह प्रतिपादित किया कि स्थायी सुख और शांति बाहरी उपलब्धियों, धन या सामाजिक प्रतिष्ठा में नहीं, बल्कि मन की चंचलता को शांत कर भीतर की ओर मुड़ने में निहित है। उनके द्वारा प्रचारित क्रिया योग ध्यान की एक वैज्ञानिक पद्धति है, जो जीवन-शक्ति को भीतर और ऊपर की ओर प्रवाहित कर मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास को गति देती है।

1920 में अमेरिका पहुँचने के बाद परमहंस योगानंद ने तीन दशकों तक विश्वभर में अपने विचारों का प्रसार किया। उनकी विश्वविख्यात कृति ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ़ ए योगी’ ने वैज्ञानिकों, कलाकारों, उद्यमियों और विश्व नेताओं सहित करोड़ों पाठकों को प्रभावित किया है और आज भी यह सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली आध्यात्मिक पुस्तकों में शामिल है।

उनकी शिक्षाओं को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से पश्चिम में सेल्फ-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप (SRF) और भारत में योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया (YSS) की स्थापना की गई। ये संस्थाएँ आज भी ध्यान प्रशिक्षण, आध्यात्मिक मार्गदर्शन और साधना कार्यक्रमों के माध्यम से उनके संदेश को जन-जन तक पहुँचा रही हैं।

परमहंस योगानंद के अनुसार ध्यान कल्पना या आस्था मात्र नहीं, बल्कि प्रत्यक्ष अनुभूति की प्रक्रिया है। नियमित ध्यान से व्यक्ति अपने भीतर शांति, प्रेम और ऐसे आनंद का अनुभव करता है जो परिस्थितियों पर निर्भर नहीं होता-जिसे उन्होंने “सदा-नवीन आनंद” कहा।

वर्तमान दौर में, जब विश्व मानसिक स्वास्थ्य संकट, सूचना-अधिभार और सामाजिक तनाव से जूझ रहा है, योगानंद की शिक्षाएँ और अधिक प्रासंगिक हो गई हैं। उनका स्पष्ट संदेश है कि जीवन की जटिल समस्याओं का समाधान केवल बाहरी व्यवस्थाओं में नहीं, बल्कि आंतरिक स्पष्टता और मानसिक स्थिरता में निहित है। ध्यान किसी एक वर्ग तक सीमित साधना नहीं, बल्कि संतुलित और स्वस्थ जीवन के लिए एक व्यावहारिक व वैज्ञानिक पद्धति है।

विश्व ध्यान दिवस के अवसर पर योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इंडिया (YSS) द्वारा 20 दिसंबर, शनिवार को शाम 6:30 बजे से 7:30 बजे तक एक विशेष लाइव ऑनलाइन ध्यान कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम यूट्यूब पर प्रसारित किया जाएगा, जिसे निम्नलिखित लिंक के माध्यम से देखा जा सकता है:

शोर, तेज़ी और विभाजन के इस युग में परमहंस योगानंद की शिक्षाएँ एक मार्गदर्शक प्रकाशस्तंभ की तरह हैं, जो मानवता को भीतर निहित शांति, आनंद और आत्मिक चेतना की ओर लौटने का संदेश देती हैं।

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