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भारत, श्रीलंका, अंडोरा, मैक्सिको और नेपाल के स्थायी प्रतिनिधियों सहित अन्य सदस्य देशों और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के सदस्यगण प्राचीन साधना पद्धति ‘ध्यान’ का उत्सव मनाने के लिए एकत्र हुए तथा वैश्विक, सामाजिक व राजनीतिक समस्याओं और मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में ध्यान की प्रासंगिकता पर विचार साझा किये।

प्राचीन ज्ञान और आधुनिक कूटनीति का अनूठा संगम प्रस्तुत करते हुए, संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सदस्य देशों और यूएन एजेंसियों ने दूसरे ‘विश्व ध्यान दिवस’ को मनाने के लिए एकत्र होकर, वैश्विक शांति, मानसिक कल्याण और नेतृत्व में ध्यान की बढ़ती भूमिका को पुनः रेखांकित किया। “वैश्विक शांति और सामंजस्य के लिए ध्यान” शीर्षक से आयोजित इस कार्यक्रम में गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर का मुख्य भाषण और मार्गदर्शित ध्यान सत्र शामिल था, जिसने भारत की सभ्यतागत विरासत में निहित इस साधना पद्धति को विश्व के सबसे महत्वपूर्ण कूटनीतिक मंच के केंद्र में ला दिया है।

विभिन्न क्षेत्रों से आए वक्ताओं ने समान भावनाओं को दोहराया। अंडोरा के राजदूत जोन फोर्नर रोविरा ने अपने देश की शिक्षा प्रणाली में ध्यान को शामिल करने की बात करते हुए छात्रों की एकाग्रता और भावनात्मक संतुलन में आए सुधारों का उल्लेख किया। मैक्सिको की उप-स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत एलिसिया ग्वाडालूपे बुएनरोस्ट्रो मासियू ने स्थायी वैश्विक सामंजस्य के लिए आंतरिक शांति को आधार बताया। नेपाल के राजदूत लोक बहादुर थापा ने हिमालयी क्षेत्र में ध्यान की गहरी सभ्यतागत जड़ों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह जलवायु परिवर्तन से लेकर दुष्प्रचार तक, आपस में जुड़ी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सहायक है।

अन्य गणमान्य व्यक्तियों में महर्षि इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के डॉ. रॉबर्ट श्नाइडर; योगमाता फाउंडेशन की योगमाता केइको आइकावा; ब्रह्माकुमारी विश्व आध्यात्मिक विश्वविद्यालय की प्रशासनिक एवं आध्यात्मिक प्रमुख बीके मोहिनी पंजाबी; जीवन विज्ञान फाउंडेशन नेपाल के श्री एल. पी. भानु शर्मा; रटगर्स यूनिवर्सिटी के डॉ. लसांथा चंदना गूणतिल्लेके; तथा भौतिक विज्ञानी, वैश्विक शांति के लिए वैज्ञानिकों के वैश्विक संघ के अध्यक्ष और ट्रान्सेंडेंटल मेडिटेशन मूवमेंट के नेता डॉ. जॉन हेगलिन शामिल थे।

कार्यक्रम का समापन गुरुदेव द्वारा राजदूतों और प्रतिनिधियों को 20 मिनट के मार्गदर्शित ध्यान में ले जाकर हुआ, जिससे संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक दुर्लभ क्षण के लिए पूर्ण शांति का अनुभव हुआ और यह स्मरण कराया कि प्राचीन परंपराओं से जन्मी साधनाएँ आज भी वैश्विक मंच पर नई प्रासंगिकता पा रही हैं।

जैसे-जैसे दुनिया 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस की ओर बढ़ रही है, इस आंदोलन का विस्तार संयुक्त राष्ट्र से बाहर भी सुर्खियाँ बना रहा है। न्यूयॉर्क के प्रतिष्ठित टाइम्स स्क्वायर में ‘वर्ल्ड मेडिटेट्स विद गुरुदेव’ लिखे बिलबोर्ड जगमगा रहे हैं, जो विश्व मंच पर एक भारतीय आध्यात्मिक गुरु के नेतृत्व में एक दुर्लभ वैश्विक क्षण का संकेत देते हैं। न्यूयॉर्क से गुरुदेव अपने यूट्यूब चैनल पर विश्वव्यापी समारोह के सीधे प्रसारण का नेतृत्व करेंगे, जिसमें भारत और दुनिया भर से लाखों लोग ध्यान में सहभागी होंगे।

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