खबरिस्तान नेटवर्क : पंजाब यूनिवर्सिटी और बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज़ द्वारा की गई एक ताज़ा स्टडी ने राज्य में बढ़ते जल प्रदूषण पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अध्ययन में पाया गया है कि बठिंडा, रूपनगर और चंडीगढ़ के बच्चों के खून और भूजल में सीसा (Lead) और यूरेनियम (Uranium) की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की तय सीमा से कई गुना अधिक है।
इकोनोमिक्स टाईम्स की खबर के मुताबिक। स्टडी पंजाब यूनिवर्सिटी की Geo-Environmental Research Laboratory और बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के सहयोग से की गई है। इसमें कुल 149 बच्चों के खून, 137 बालों, और 37 भूजल नमूनों का विश्लेषण किया गया।
शोध में शामिल बच्चे 5 से 15 वर्ष की उम्र के थे।
करीब 26.17% बच्चों के खून में सीसा की मात्रा WHO की सुरक्षित सीमा से ऊपर पाई गई। बठिंडा में यह आंकड़ा 32.62% तक पहुंच गया। बालों के नमूनों में भी सीसा का स्तर असामान्य रूप से ऊंचा था। भूजल के सैंपल में यूरेनियम और अन्य हानिकारक धातुएं मिलीं।
सेहत पर गंभीर असर
विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों के शरीर में सीसा और यूरेनियम की अधिक मात्रा से दिमागी विकास पर असर, हड्डियों की कमजोरी, और किडनी संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। लंबे समय तक यह एक्सपोज़र बच्चों की सीखने की क्षमता और व्यवहारिक विकास को भी प्रभावित कर सकता है।
शोधकर्ताओं की सिफारिश
अध्ययन टीम ने सरकार को सुझाव दिया है कि प्रभावित इलाकों में भूजल की नियमित जांच की जाए। प्रदूषण के स्रोतों (औद्योगिक कचरा, कीटनाशक आदि) की पहचान की जाए। स्कूलों और गांवों में सुरक्षित पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। शोध टीम के एक सदस्य ने कहा है कि “यह अध्ययन सिर्फ शुरुआत है। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले वर्षों में पंजाब के बच्चों की सेहत पर इसके गहरे असर देखे जा सकते हैं।
पंजाब की विशेष रूप से मालवा बेल्ट में पहले भी यूरेनियम-युक्त पानी की रिपोर्टें सामने आ चुकी हैं। अब नई स्टडी ने इस खतरे को और मजबूत कर दिया है।