ख़बरिस्तान नेटवर्क : जालंधर के बस स्टैंड परिसर में उस समय भारी अफरा-तफरी का माहौल बन गया जब लीगल परमिशन अफसर और उनकी टीम ने बच्चों से भीख मंगवाने वालों के खिलाफ एक विशेष अभियान चलाया। इस कार्रवाई के दौरान जैसे ही टीम ने बच्चों को अपने संरक्षण में लेना शुरू किया, वहां मौजूद महिलाओं और परिजनों ने रो-रोकर आसमान सिर पर उठा लिया। विरोध इतना बढ़ गया कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल को मोर्चा संभालना पड़ा।
चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के समक्ष पेशी की तैयारी
प्रशासनिक अधिकारियों ने जानकारी दी है कि रेस्क्यू किए गए बच्चों को सबसे पहले मेडिकल परीक्षण के लिए सिविल अस्पताल ले जाया जा रहा है। जांच के बाद इन बच्चों को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
अधिकारियों का तर्क है कि बच्चों के भविष्य और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए यह कानूनी प्रक्रिया जरूरी है। पूरी जांच के बाद ही कमेटी तय करेगी कि बच्चों का संरक्षण किसे सौंपा जाना चाहिए।
परिजनों के दावों ने कार्रवाई पर उठाए सवाल
कार्रवाई के दौरान मौके पर मौजूद महिलाओं ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उत्तर प्रदेश की रहने वाली मेसर नामक महिला ने दावा किया कि उसकी 10 और 12 साल की बेटियों को जबरन अनाथ आश्रम ले जाया गया है, जबकि वह उनसे भीख नहीं मंगवाती थी।
वहीं मध्य प्रदेश की रहने वाली ललती ने बताया कि वह बूटा मंडी इलाके में रहकर नींबू बेचती है और उसका बेटा उसके साथ ही था। ललती के अनुसार, उसके परिवार में मौत होने के कारण वह अगले दिन वापस जाने वाली थी और प्रशासन की यह कार्रवाई गलत है।
कानूनी प्रावधान और बच्चों का भविष्य
दूसरी तरफ विभाग के अधिकारियों ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि बच्चों से भीख मंगवाना एक दंडनीय अपराध है और मासूमों के बचपन को बचाने के लिए ऐसी सख्त कार्रवाई जरूरी है। प्रशासन का कहना है कि अक्सर बच्चों को जबरन इस काम में धकेला जाता है, जिससे उनका शैक्षिक और मानसिक विकास रुक जाता है। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि जांच में सभी पक्षों की बात सुनी जाएगी, लेकिन प्राथमिकता बच्चों के कल्याण को ही दी जाएगी।