अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के 673 दिन बाद सोमवार को ऐतिहासिक क्षण आया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और RSS प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर के 161 फीट ऊँचे शिखर पर धर्मध्वजा फहराई। अभिजीत मुहूर्त में बटन दबाने पर 2 किलो की केसरिया ध्वजा ऊपर उठी और मंदिर का औपचारिक रूप से संपूर्ण निर्माण पूरा घोषित किया गया।
ध्वजारोहण के दौरान पीएम मोदी भावुक हो गए और धर्मध्वजा को हाथ जोड़कर प्रणाम किया। इससे पहले उन्होंने पहली बार मंदिर की पहली मंज़िल पर बने रामदरबार में पूजन और आरती की। वे रामलला के लिए दिल्ली से वस्त्र और चंवर भी लेकर पहुंचे थे।
अयोध्या शहर को 1000 क्विंटल फूलों से सजाया
अयोध्या शहर को 1000 क्विंटल फूलों से सजाया गया, जबकि NSG- ATS, SPG और PAC की 5-लेयर सुरक्षा व्यवस्था लागू की गई।सुबह पीएम मोदी ने साकेत कॉलेज से रामजन्मभूमि तक डेढ़ किलोमीटर का रोड शो भी किया, जहाँ स्कूली बच्चों ने उन पर फूल बरसाए।
राम मंदिर के ध्वज की विशेषताए
राम मंदिर का शिखर ध्वज अत्याधुनिक तकनीक और पारंपरिक धार्मिक मान्यताओं का अनोखा संगम है। इसकी प्रमुख खूबियाँ
- तूफानों में भी सुरक्षित रहने की क्षमता
ध्वजा को ऐसी तकनीक से बनाया गया है कि तेज़ आंधी और भयानक तूफान में भी यह न टूटे, न अपनी जगह से हिले।
- हवा बदलने पर बिना उलझे पलटने की क्षमता
विशेष रोटेटिंग मेकनिज़्म लगाया गया है, जो हवा की दिशा बदलते ही ध्वज को उलझने नहीं देता।
- 21 किलो सोने से मढ़ा दंड
ध्वजा जिस दंड पर स्थापित है, उस पर 21 किलो शुद्ध सोने की परत चढ़ाई गई है।
- 4 किलोमीटर दूर से दिखाई देता है
इसकी ऊँचाई और चमक इतनी है कि अयोध्या से आने वाले श्रद्धालुओं को 4 किमी दूर से ही दर्शन मिल जाते हैं।
- मंदिर की वास्तु और परंपरा के अनुरूप डिजाइन
ध्वज की बनावट वास्तु शास्त्र, आगम शास्त्र और सनातन परंपराओं के अनुसार की गई है।
केसरिया रंग समर्पण, धर्म, साहस और त्याग का प्रतीक माना जाता है।
सत्य और धर्म ही सर्वोपरि हैं
प्रधानमंत्री ने कहा कि राम की धरती समाज की सामूहिक शक्ति का केंद्र है और विकसित भारत इसी शक्ति से निर्मित होगा।
आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी कि सत्य और धर्म ही सर्वोपरि हैं।शहर और मंदिर में दिखी अद्भुत आस्था, साथ ही ध्वजा फहरते ही हजारों की भीड़ ने जय श्रीराम के नारे लगाए।देशभर के मठों और अखाड़ों के संत मौजूद रहे।



