चंडीगढ़ में 15 साल पुराने एमबीए छात्रा रेप और मर्डर केस में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने सीरियल किलर मोनू कुमार को उम्र कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने मोनू पर 1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। फैसले के बाद छात्रा के माता-पिता ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ऐसे अपराधी को फांसी की सजा मिलनी चाहिए थी।
जज से कहा – फांसी ही न्याय है
फैसले के दौरान कोर्ट रूम में छात्रा के माता-पिता ने जज से कहा कि उम्रकैद नहीं, फांसी दी जानी चाहिए थी। छात्रा के पिता ने कहा यह इंसान नहीं, एक पशु है। इसके अंदर दिल नहीं है। उम्रकैद कम है, इसे फांसी होनी चाहिए थी। अब हम सोचेंगे कि आगे अपील करें या नहीं।उन्होंने साइंटिस्ट सुनीता वर्मा की भूमिका की भी सराहना की, जिन्होंने शुरुआती साक्ष्यों के आधार पर दोनों मामलों में एक ही आरोपी होने की पहचान की थी।
2010 का अनसुलझा केस
यह मामला साल 2010 का है। रेप के बाद छात्रा की हत्या कर दी गई थी। 12 साल तक आरोपी का कोई सुराग नहीं मिला, और पुलिस ने केस को अनट्रेस घोषित कर दिया था। परिवार ने भी न्याय की उम्मीद छोड़ दी थी।लेकिन 2022 में चंडीगढ़ सेक्टर-56 में एक महिला की हत्या के दौरान जुटाए गए सबूतों ने पुराने केस की तरफ इशारा किया। दोनों मामलों में हत्या का तरीका एक जैसा था, पीड़िताओं के मुंह में रुई ठूंसी गई थी।
100 से ज्यादा डीएनए टेस्ट, 800 लोगों से पूछताछ
पुलिस ने 100 से अधिक डीएनए सैंपल की जांच और 800 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की। इसी दौरान डड्डूमाजरा, शाहपुर कॉलोनी के निवासी मोनू कुमार का नाम उभरकर सामने आया।लेकिन उसे पकड़ना आसान नहीं था , वह चंडीगढ़ छोड़कर बिहार भाग चुका था। मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करता था।
2024 में लौटा, तब जाकर गिरफ्तारी हुई
2024 में मोनू गुपचुप तरीके से चंडीगढ़ लौटा। मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने न सिर्फ दोनों महिलाओं की हत्या की बात कबूल की, बल्कि यह भी बताया कि 2008 में हिमाचल के चंबा में एक बच्ची के साथ रेप और हत्या भी उसने ही की थी। परिवार अब उच्च अदालत में फांसी की मांग को लेकर अपील करने पर विचार कर रहा है।



